Motivational Story in Hindi: प्रोत्साहित करने वाली कहानी हिंदी में

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

एक कहानी हमारे पाठकों को प्रोत्साहित करने के लिए लिखी गई है| मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी के इस संग्रह में इस कहानी को हमने एक बहुत ही सरल रूपांतरण में दर्शाया हुआ है जिससे कि हमारे पाठकों को कहानी समझने में बहुत ही आसानी होगी और इसे एक अच्छी सीख भी मिलेगी| यह कहानी एक ऐसे इंसान की है जिसने अपने जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे| ऐसे में अपने इस वेबसाइट पर केवल कॉलेज यूनिवर्सिटी जॉब और रिजल्ट से रिलेटेड आर्टिकल लिखते रहता हूं लेकिन मुझे ऐसा लगा कि आज के समय में एजुकेशन के साथ-साथ एक मोटिवेशन भी बहुत जरूरी है इसलिए मैंने सोचा क्यों ना ऐसे लोगों की कहानी भी लोगों को अपने मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी के माध्यम से प्रस्तुत किया जाए जिससे मेरे पाठकों और दूसरे लोगों को भी इससे कुछ प्रोत्साहन मिले| मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी का एक ही मकसद है लोगो को जीवन में कामयाब होने के लिए प्रोत्साहित किया जाये|

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी
मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

एक छोटे से गांव में विनोद नाम का एक होनहार व्यक्ति रहता था| बचपन में ही उसके पिता का साया उससे छिन गया और वह अकेला हो गया उसके ऊपर तीन बहनों की रिस्पांसिबिलिटी भी उसके ऊपर आ गई| घर की हालत काफी खस्तासी कैसे-कैसे एक-एक दिन कट रहे थे| विनोद बचपन से ही उसकी ऐसी ख्वाहिश थी कि एक दिन वह बहुत बड़ा आदमी बने और इतना बड़ा बने कि वह अपने घर के साथ-साथ और भी ऐसे गरीब लोगों की मदद करें जो बेसहारा है| लेकिन यह एक सोच पर ही थी जैसे कि हर कोई सोचता है कि मैं काश बहुत बड़ा आदमी होता मेरे पास बहुत पैसे होते मेरे पास बहुत बड़ा घर होता| धीरे-धीरे समय बहुत ही खराब स्थिति में हो जाते जा रहा था स्थिति ऐसी हो गई थी कि घर पर राशन के लिए पैसे भी नहीं थे| एक-एक दिन गुजारा करना दुश्वार हो गया था| फिर मां ने कहा बेटा अब तुम्हारी दो तीनों बहनें भी बड़ी हो गई है और घर चलाने के लिए कोई दूसरा साधन भी नहीं है इसलिए शहर जाओ और कुछ काम के पैसे भेजे ताकि हम लोग का गुजारा हो सके और कुछ वर्षों बाद तुम्हारी एक बहन की शादी भी करनी जरूरी है| विनोद अभी दसवीं की परीक्षा दे रहा था और उसने बोला मां ठीक है मेरी परीक्षा खत्म होने के बाद मैं शहर चला जाऊंगा कमाने के लिए|

विनोद नौकरी की तलाश में शहर चला जाता है

विनोद की दसवीं की परीक्षा खत्म हो जाती है और मैन किधर से भी पैसे लेकर उसे शहर भेज देती है| विनोद जब मुंबई जैसे बड़े शहर में आता है तो वह वहां की बिल्डिंग देखकर चक्र चांद हो जाता है और उसे ऐसा लगता है कि वह किस दुनिया में आ गया है, क्योंकि विनोद का पूरा बचपन एक छोटे से गांव में बिता वह गांव के सिवा और कहीं नहीं गया पूरी जिंदगी उसने गांव में बिता दिया इसलिए वह पहली बार यह सब देख रहा था|

विनोद नौकरी की तलाश में शहर चला जाता है

स्टेशन से बाहर आने के बाद जब उसे शहर को देखा है उसे लगता है यहां पर नौकरी तो बहुत ही आसानी से मिल जाएगी| लेकिन उसे कुछ भी आईडिया नहीं था कि आखिर वह नौकरी खोज कैसे हो वहां पर रास्ते में आते-जाते लोगों से रिक्वेस्ट करते रहा की मुझे कहीं नौकरी है तो दिला दीजिए किसी ने उसकी मदद नहीं की| फिर वह थोड़ी दूर आगे जाकर उसने देखा तो एक आदमी कुछ सामान ढोकर एक गाड़ी में लोड कर रहा था विनोद वहां उसके पास गया और कहा भैया मुझे काम चाहिए मैं अब मैं एक काम कर सकता हूं| उसे आदमी ने विनोद को देखकर कहा कि तुम यह काम कर पाओगे विनोद ने कहा हां| उसने बोला मैं तुम्हें महीने के ₹1100 दूंगा विनोद ने हामी भर दी और जब उसने ₹1100 का नाम सुना तो क्योंकि सुना तो ऐसा लगा कि इतना पैसा तो मैं जिंदगी मैं नहीं कमाया|

विनोद की सामान ढोने की नौकरी मुंबई में लग जाती है

विनोद पूरा दिन काम करता है उसके पास कुछ पैसे ही खाने के लिए बचा था| जब रात हुई तो विनोद ने सोचा अब मैं रुकूंगा कहां कहां सोऊंगा? विनोद ने कैसे-कैसे तो रात गुजारी सड़क पर| सुबह हुई तो वह काम करने उसे जगह चला गया जहां पर उसकी सामान ढोने की नौकरी लगी थी| दूसरे दिन जब वह काम करने के लिए जाता है तो वहां पर एक और बंदा वहां पर सामान ढोने के लिए रहता है क्योंकि उसे समय काफी ज्यादा सामान आया रहता है दूसरे गाड़ी में शिफ्ट करने के लिए| विनोद उसे व्यक्ति से बोलता है भैया मुझे रहने के लिए ठिकाना नहीं है क्या आप रहने के लिए कहीं जगह बता सकते हैं जहां मैं रह सकूं|

सामान ढोने की नौकरी मुंबई में

मैं इस शहर में नया हूं मुझे कुछ नहीं पता| मलिक ने उसे व्यक्ति को विनोद के बारे में बताया था कि एक और आदमी है जो तुम्हारी हेल्प करेगा सामान रखने में| उसने विनोद से बोला ठीक है तुम कुछ दिन मेरे साथ रह सकते हो लेकिन कुछ दिन बाद तुम अपने रहने की व्यवस्था कर लेना| विनोद बोला ठीक है भैया मुझे कुछ दिन रहने के लिए दे दो फिर धीरे-धीरे जैसे मुझे यहां का माहौल पता चल जाएगा और कहीं रहने के लिए रूम मिल जाएगा तो मैं चला जाऊंगा| विनोद की पहली तनक ₹1100 मिलती है और वह यह पैसे देखकर बहुत ही खुश होता है और अभी तक एक महीने हो गए उसने अपने घर बात नहीं की थी| बहुत दिनों बाद विनोद अपने घर पर अपनी मां से और अपनी पूरी फैमिली से बात करता है बात करके बहुत ही योग खुश होता है और मन से कहता है मां मेरी नौकरी लग गई है अब चिंता करने की कोई बात नहीं है सब ठीक हो जाएगा| और मन से बोलता है मां मैं कुछ ऐसे तुम्हें भेज देता हूं और अपना घर का खाने का सामान भर लेना|

विनोद का प्रमोशन हो जाता है

विनोद बहुत ही मेहनत से और ईमानदारी से काम करते रहता है मालिक उसे बहुत खुश होता है और उसे कहता है मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं क्या मैं तुम्हें एक दूसरा काम दूंगा कर सकते हो तुम्हारी सैलरी भी बढ़ा दूंगा| विनोद बोलता है क्यों नहीं साहब जरूर करूंगा मैं काम तो बताइए क्या है क्या करना है मलिक बोलता है तुम कितने तक पढ़े हो विनोद बोलता है सर मैं 10th का एग्जाम देकर आया हूं| मलिक बोलता है ठीक है कल से तुम्हें यह जो भी सामान आता है जाता है उसे तुम्हें एक पेपर पर लिखना पड़ेगा और ध्यान रहे की कोई भी गलती ना हो क्योंकि अगर एक भी गलती करती है तो सामान मिस हो सकता है| मलिक बोलता है यह काम थोड़ा कठिन है क्योंकि बहुत ध्यान देने की बात है और मुझे तुम को देखकर लगता है कि तुम यह काम कर सकते हो| सर मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा कि कोई गलती ना हो| विनोद को जब दूसरे महीने की तनक 5500 मिलती है तो उसके आंखों से आंसू निकलने लगते हैं और यह उसकी जिंदगी का बहुत ही बड़ा दिन था क्योंकि उसने पहली बार इतनी बड़ी रकम देखी थी|

करते हैं ना अगर इंसान मेहनत करें तो ऊपर वाला भी उसकी मदद करता है| विनोद कुछ दिन भी जाते हैं तो विनोद मालिक से बोलता है सर मुझे मेरी मदद कर दीजिए मुझे एक रूम चाहिए रहने के लिए| मलिक बोलता है कोई नहीं तुम चिंता मत करो मेरा एक गेस्ट हाउस है तुम वहां रह सकते हो चाहे जितना दिन| विनोद जी सुनकर बहुत ही खुश होता है और मलिक को बोलता है सर मुझे माफ करिए मैं आपके गेस्ट हाउस में नहीं रह सकता मैं कहीं दूसरे जगह भाड़े पर रहना चाहता हूं यह सुनकर मलिक अंदर ही अंदर बहुत ही प्रसन्न होता है और बोलता है ठीक है मैं तुम्हें राजू से बोलकर एक अच्छा सा रूम खोजा देता हूं और तुम वहां जाकर रह सकते हो| कुछ दिन बाद विनोद एक नए घर में शिफ्ट हो जाता है और वहां अपनी एक नई जिंदगी की शुरुआत करता है| धीरे-धीरे एक साल से ऊपर भी जाते हैं सब कुछ अच्छा चलते रहता है| एक दिन मालिक विनोद को अपने ऑफिस बुलाते हैं विनोद बहुत ही आश्चर चकित होता है और यह भी सोचता रहता है अंदर ही अंदर मालिक कहीं मुझे काम से निकल ना दे मैं फिर कहां जाऊंगा| विनोद चौक ऑफिस जाता है तो देखकर हक्का-बक्का हो जाता है क्योंकि उसने पहली बार ऐसी ऑफिस दिखाई थी वह केवल फिल्मों में ही उसने इस तरह के दफ्तर या ऑफिस देखे थे| मलिक बोलते हैं मेरी ऑफिस कैसी लगी विनोद बोलता है सर मैं ऐसी ऑफिस जिंदगी में पहली बार देखी क्योंकि केवल फिल्मों में ही मैंने देखा था|

विनोद मैनेजर बन जाता है

मलिक बोलता है विनोद तुमने पूरी साल बहुत ही लगन और पूरी ईमानदारी से काम किया मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं और तुम्हें अब एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी देना चाहता हूं क्या तुम वह जिम्मेदारी लेना चाहते हो, विनोद यह सुनकर बहुत ही खुश होता है| उसे समझ में नहीं आता है कि वह क्या करें वह बस मालिक की तरफ देखते रहता है| कहता है कि जी सर में जरूर करूंगा और पूरी ईमानदारी से करूंगा| तब मालिक बोलता है कि मैं तुम्हें अपने इस ऑफिस का मैनेजर बनना चाहता हूं क्या तुम बनना चाहते हो, मैनेजर शब्द इस केवल उसने फिल्मों या टीवी सीरियल में ही सुने थे| मलिक बोलते हैं तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें यहां कुछ दिन ट्रेनिंग दिलवाऊंगा और इसके बाद जब तुम पूरी तरह सक्षम हो जाओगे करने के लिए तब तुम यहां पर मैनेजर की पोस्ट पर काम कर सकते हो| की आंखों से आंसू आने लगते हैं और मलिक यह सब देखकर उसको गले लगा लेता है| विनोद की ट्रेनिंग कुछ दिन बाद खत्म हो जाती है और वह पर वहां काम करने लगता है| विनोद की तो जिंदगी ही बन गई| आवश्यकता है अब भी उसका एक सपना था बाकी था पूरा होना| विनोद को करीब 2 साल से ऊपर हो गए मुंबई आए हुए तब से वह गांव गया नहीं अपने घर वालों से मिलने उसे बहुत याद आ रही थी अपने मां और परिवार की| विनोद जब से उसे कंपनी में मैनेजर बना उसे कंपनी की रेवेन्यू कई गुना बढ़ गई और मालिक उसे बहुत ही खुश था मलिक ने उसे गिफ्ट में एक घर भी दे दिया|

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी आगे भी जारी है

विनोद को धीरे-धीरे कई दूसरी कंपनियों से भी ऑफर आने लगे लेकिन विनोद एक बहुत ही सच्चा और ईमानदार इंसान था लालच उसके अंदर नहीं थी हां लेकिन उससे यह जरूर लगता था कि आज वह जो भी है वह उसे कंपनी और अपने मालिक के वजह से है| मालिक भी बहुत ही अच्छा इंसान था उसने कहा विनोद तुम्हारे पास बहुत अच्छी स्केल है मैनेजमेंट की चाहे तो तुम अपना खुद का बिजनेस भी स्टार्ट कर सकते हो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं मेरी तरफ से जो भी मदद चाहिए| विनोद को यह सुनकर अच्छा लगा लेकिन वह इसी में खुश था, तब एक दिन मलिक ने कहा विनोद क्या सपना क्या तुमने खुला था अपनी जिंदगी तब विनोद ने कहा सर मेरा बचपन से एक ही सभा और मैं अपने साथ-साथ में जो भी गरीब लोग हैं उनकी भी मदद कर सकूं| मौत की यह बातें सुनकर मालिक बहुत थी स्तब्ध हो गया| विनोद ने यह भी कहा कि मलिक मुझे और कुछ नहीं चाहिए मैं बस यही खुश हूं इतने में ही खुश हूं| इतना बातचीत करके चला जाता है कुछ दिन बाद विनोद को मलिक बुलाता है विनोद इधर आओ तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं, विनोद जाता है और मालिक उसे अपने कंप्यूटर में उसकी एक नई कंपनी दिखता है इसे बोलते हैं एक कंपनी देख रहे हो बोलता है हां सर बहुत अच्छी है, मलिक बोलता है इस कंपनी में आधा मलिक तुम रहोगे| विनोद की वर्षों की मेहनत और ईमानदारी अब जाकर काम आई और धीरे-धीरे जो उसने सोचा था ठीक उसी के अनुरूप होने लगा|

विनोद एक कंपनी का मालिक बन जाता है

विनोद अब एक कंपनी का मालिक बन जाता है और विनोद और भी मेहनत करता है| विनोद और भी मेहनत करता है और भी तरक्की दिन प्रतिदिन होती रहती है| कुछ दिन बाद वो गाओं जाता है और अपने गाँव के गरीब लोगो की मदद भी करता है|

निष्कर्ष

विनोद की कहानी से ये निष्कर्ष निकालता है की इंसान मेहनत और ईमानदारी से काम करे तो तरक्की जरूर मिलती है और सपने भी पूरे होते हैं|  मुझे उम्मीद है आप लोगो को ये कहानी जरूर पसंद आई होगी| अगर अच्छा लगा हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट जरुर करे ताकि हमारा भी मनोबल बड़े और भी ऐसी ही मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी में लाये| हमने बहुत से मशहूर व्यक्तियों के जीवन परिचय को भी अपने लेख के माध्यम से प्रस्तुत किया है उसे भी जरुर पढ़ें|

Suraj Rajbhar is the author and founder of Governmentcollege.com.

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