गाजीपुर का NEET-UG घोटाला का एक बड़ा मामला सामने आया है जिसने शिक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यूपी NEET UG काउंसलिंग 2025 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित श्रेणी (Freedom Fighter Quota) के तहत फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर प्रवेश लेने का मामला उजागर हुआ है। इस घटना ने न केवल छात्रों के भविष्य बल्कि पूरे चयन तंत्र पर गहरी चोट पहुंचाई है।
गाजीपुर का NEET-UG घोटाला
इस पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ जब तहसीलदार सदर गाजीपुर ने संदेहास्पद प्रमाण पत्रों को लेकर जांच की सिफारिश की। जांच के बाद यह साफ हो गया कि 9 छात्रों ने फर्जी प्रमाण पत्र (Fake Certificates) जमा करके काउंसलिंग में हिस्सा लिया। इसके बाद तहसीलदार की शिकायत पर सदर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।
आरोपी छात्र कौन हैं?
पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में कुल 9 छात्रों के नाम शामिल हैं। इनमें से अधिकांश गाजीपुर शहर के अलग-अलग इलाकों से ताल्लुक रखते हैं।
पंकज कुमार
सुमन संगम
मधुमिता कुमार
चंदन कुमार
तान्या
अमित राज
अंकित आनंद (निवासी – गोराबाजार, पीरनगर)
आराधना सक्सेना
मयंक कुमार (निवासी – मालगोदाम रोड, मुख्य डाकघर)
इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित श्रेणी के अंतर्गत दाखिले के लिए फर्जी दस्तावेज़ लगाकर अनुचित लाभ उठाने की कोशिश की।
जांच में क्या सामने आया?
इस मामले की जांच महानिदेशक चिकित्सा एवं प्रशिक्षण, लखनऊ के आदेश पर की गई।
प्रारंभिक जांच अपर जिलाधिकारी (ADM) और प्रभारी अधिकारी प्रमाण पत्र कलेक्ट्रेट गाजीपुर द्वारा की गई।
जांच में साफ हो गया कि आरोपियों द्वारा लगाए गए सभी प्रमाण पत्र कार्यालय से जारी ही नहीं हुए थे।
न्याय सहायक अधिकारी गाजीपुर ने भी अपनी रिपोर्ट में यही पुष्टि की कि इन प्रमाण पत्रों का उनके विभाग से कोई संबंध नहीं है।
राजस्व सहायक कलेक्ट्रेट गाजीपुर ने बताया कि जिन प्रमाण पत्रों का हवाला दिया गया है, उनके नंबर डाकबही (Record Register) में दर्ज ही नहीं हैं।
दस्तावेज़ों में अनेक विसंगतियां और ग़लतियाँ पाई गईं।
क्यों गंभीर है यह मामला?
यह घटना केवल फर्जी दस्तावेज़ जमा करने का मामला नहीं है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था की ईमानदारी और पारदर्शिता पर चोट करता है।
NEET UG काउंसलिंग लाखों छात्रों के सपनों से जुड़ी होती है। ऐसे में फर्जीवाड़ा करने वाले न केवल अपने भविष्य को खतरे में डालते हैं, बल्कि ईमानदारी से मेहनत करने वाले छात्रों का हक़ भी छीनते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित श्रेणी का मकसद उन परिवारों को सम्मान और अवसर देना है जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए बलिदान दिया। इस श्रेणी में फर्जीवाड़ा करना देश के शहीदों का अपमान भी है।
प्रशासन और कानून की भूमिका
जैसे ही जांच में यह मामला सामने आया, प्रशासन हरकत में आ गया।
FIR दर्ज कर ली गई है और आगे पुलिस की जांच जारी है।
जिन छात्रों ने फर्जी दस्तावेज़ जमा किए हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
यह भी तय है कि इन छात्रों का दाखिला रद्द किया जाएगा और भविष्य में ऐसे मामलों के लिए और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे।
समाज और शिक्षा व्यवस्था पर असर
ऐसे मामलों का असर केवल प्रशासनिक स्तर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज और शिक्षा व्यवस्था दोनों पर गहरा प्रभाव डालता है।
मेहनती छात्रों का विश्वास टूटता है।
परिवार और अभिभावक भी निराश होते हैं क्योंकि वे अपने बच्चों को ईमानदारी से आगे बढ़ाना चाहते हैं।
शिक्षा व्यवस्था की छवि धूमिल होती है।
क्या हैं सीख और समाधान?
इस पूरे मामले से हमें कई सबक मिलते हैं:
दस्तावेज़ों की गहन जांच – हर छात्र के प्रमाण पत्र की काउंसलिंग से पहले पूरी तरह जांच होनी चाहिए।
डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम – अगर सभी प्रमाण पत्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए तो फर्जीवाड़े की संभावना कम हो जाएगी।
कठोर दंड – ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई होना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई छात्र या अभिभावक ऐसी गलती करने की हिम्मत न कर सके।
जागरूकता – छात्रों को यह समझना चाहिए कि शॉर्टकट का रास्ता कभी सही परिणाम नहीं देता। मेहनत और लगन ही सफलता की असली कुंजी है।
निष्कर्ष
गाजीपुर में यूपी NEET UG काउंसलिंग 2025 का यह फर्जीवाड़ा केवल 9 छात्रों की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस सोच का आईना है जहां लोग मेहनत से ज्यादा शॉर्टकट को अपनाते हैं। लेकिन ऐसे मामलों से साफ होता है कि प्रशासन सतर्क है और कानून का डंडा किसी को भी बख्शेगा नहीं।
👉 यह घटना छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए एक सबक है कि भविष्य बनाने के लिए सही रास्ता हमेशा मेहनत और ईमानदारी ही है।